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कागज कैसे बनता है ? 》कागज के बारे में जाने

दोस्तो आज हम एक नया और विशेष विषय आपके सामने उपस्थित हुए हैं। जो आपके ज्ञान में और बढ़ोतरी करेगा।
आज हम आपको बताएंगे कि कागज कैसे बनता है ?(Paper kaise banta hai?)और कहां पर बनता है?
मित्रों कागज का अविष्कार एक महत्वपूर्ण घटना है।
कागज आज हमारी जिंदगी मैं बहुत काम की चीज है ।इसके बिना हमे चल नही सकता है ।हमें प्रतिदिन इसकी जरूरत होती है।समाचारपत्र नोटबुक्स, बुक्स,पैसे, स्टाम्प पेपर,पेपरबेग्स वॉलपेपर, किसी ना किसी रूप में कागज की जरूरत हमें रोज पड़ती हैं।
तो आइए हम जानते हैं कि ये कागज कैसे बनता है? या पेपर कैसे बनता है ? पेपर बनाने की विधि भी आपको जानने मिलने वाली है। तो चलिए कागज के बारे में जानते है।
कागज कैसे बनता है? Paper kaise banta hai ? How is paper made in hindi?
कागज मुख्यत्वे वृक्ष या घास में से बनता है।कागज रुई या फटे जीर्ण कपड़े में से भी बनता है। वृक्ष या पौधों में सेल्यूलोज होता है सेल्यूलोज कार्बोहाइड्रेट पदार्थ है जो कि पौधों के पंजर का मुख्य पदार्थ है।सेल्यूलोज के रेसो को जोडकर जो एकदम पतली चदर जैसी वस्तु बनाइ जाती हैं उसे कागज कहतें हैं।
परस्पर जुटने का गुण जो केवल सेल्यूलोज मै होता है इसीलिए इसीसे ही कागज बनाया जाता हैं। जिन पौंधों में सेल्यूलोज की मात्रा जितनी अच्छी होती हैं कागज की गुणवत्ता इतनी अच्छी होती हैं।
रुई में सबसे शुद्ध सेल्यूलोज होता है इसीलिए इसमे से सबसे उत्तम प्रकार का कागज बन सकता है पर ये महंगी होती है इसीलिये इसका उपयोग कागज बनाने में नहीं किया जाता।जितना अधिक शुद्व सेल्यूलोज होता है कागज उतना अच्छा और स्वच्छ होता है।
रद्दी कागज और जीर्ण कपडों के चिथड़ों में लगभग सौ प्रतिशत सेल्यूलोज होता है इसलिए इससे बना कागज अधिक अच्छा होता हैं और सरलता से बनता हैं ।
पौंधों में पाया जाने वाला सेल्युलोज शुद्ध रूप मैं नही होता इसमे लिग्निन और पेक्टिन ,लवण खनिज आदि मिला होता है । जब तक सेल्यूलोज में से लिग्निन पूरी तरह निकाला नही जाता कागज अच्छा नही बन सकता क्योंकि लिग्निन पूरी तरह ना निकलने से सेल्यूलोज का एक पतली चद्दर जैसा स्तर बनना संभव नही होता।
इतिहास मुताबिक कागज बनाने का पहला मान चीन को जाता है । वहाँ सूत के रेसों से कागज बनाया जाता था ।आरंभ में जब तक सेल्यूलोज को पौधों में से शुद्ध रूप से प्राप्त करने की विधि मालूम नही थी तब तक कागज मुख्यत्वे जीर्ण फटे सूती कपडों के चिथड़ों से बनाया जाता था ।
आजकल कागज बनाने में मुख्यत्वे कपडों के चिथड़े ,बांस, रद्दी कागज,पेडों की लकड़ियां, सबइ घास इत्यादि का उपयोग होता हैं।
पौंधों की कोशिकाएं सेल्यूलोज की बनी होती है जो कि यह कार्बोहाइड्रेट पदार्थ हैं पेड़ के तने में सबसे अच्छी मात्रा में सेल्यूलोज होती है जिस पौंधों में सेल्यूलोज की मात्रा अच्छी होती है कागज कि गुणवत्ता इतनी अच्छी होती है कपास मैं सेल्यूलोज अधिक मात्रा में होती है लेकिन यह महँगी होने के कारण उसका उपयोग ज्यादा नही होता है बल्कि इसका उपयोग कपड़ों के बनाने में होता हैं।
कागज बनाने के लिए वृक्ष के तने का उपयोग होता हैं जैसे देवदार,पपलर ,बांस भोज, फर आदि वृक्ष के तने का ज्यादा उपयोग होता हैं।
आइए आखिर में देखते है कि कागज फेक्टरी मैं कैसे बनता है।
फैक्ट्री में कागज कैसे बनता है?
सबसे पहले वृक्ष के तने से उसकी छाल निकाली जाती हैं उसके बाद इसके छोटे छोटे तीन या चार इंच के टुकड़े कर लिए जाते है फिर इस टुकडों को डाइजेस्टर में डालकर लिकर रसायन डालकर पकाया जाता है ।
जब ये पूरी तरह पाक जाते हैं तो ये लुगदी मैं परिवर्तित हो जाते है । इसे पल्प कहते है । इस पल्प को क्लोरीन या ऑक्सीजन डालकर ब्लीचिंग और क्लीनिंग कहा जाता है इसके बाद इसकी बीटिंग (कुटाई) और रिफाइनिंग की जाती है।
इस के बाद इस लुगदी में कागज़ के अनुसार रंग(डाई), पिग्मेंट और फ़िलर आदि मिलाया जाता है फिर इस लुदगी को क्लीनर्स मशीन में सफाई करके, मशीन चेस्ट सेक्सन में भेज दिया जाता है ।
मशीन चेस्ट से इसे फैन पंप के माध्यम से पेपर मशीन के हेड बॉक्स में भेज दिया जाता है । जहाँ पर इसकी संघनता एक प्रतिशत से भी कम रखी जाती हैं । हैड बॉक्स से ये लुगदी को वायर पर भेज दिया जाता है जहाँ इसमें से पानी अलग किया जाता है और पेपर सीट बन जाती है ।इसके बाद ये सीट प्रेस सेक्शन मैं चली जाती हैं फिर ड्रायर पर गुजरने के बाद ये सुख जाती है ।
इसके बाद ये कागज पॉप रील पर इकट्ठा किया जाने बाद छोटे पेपर रोल्स में विभाजित किया जाता है ।बाद में कटर मशीन की मदद से जरूरत के अनुसार अलग अलग पेपर साइज में कट कर के फिनिशिंग सेक्शन में भेज दिया जाता है। इसी प्रकार अनेक प्रक्रिया ओ से गुजर कर कागज तैयार होता हैं।
भारत में कागज बनाने का इतिहास
भारत मे सबसे पहले कागज बनाने का कारखाना कश्मीर में सुल्तान जैनुल आबिदीन ने बनाया ।
इसके बाद आधुनिक टेक्नीक पर कागज बनाने का उद्योग कलकत्ता में हुगली नदी के तट पर बाली नामक स्थान पर सन1870 में चालू हुआ । फिर टीटागढ़(1882)बंगाल (1887)जगाधरी(1925) औऱ गुजरात( 1933) मे कागज बनाए की इकाइयां चालू हुई।
निष्कर्ष :
हमें आशा है कि आपको हमारा यह लेख पढ़ने के बाद आपका सवाल kagaj kaise banta hai ? या paper kaise banta hai ? का संतोषजनक जवाब मिल चुका होगा ।
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